प्यार के बंधे धागे से अभी खुली नही है इश्क़ का रंग जो चढ़ा था वो धुली नही है वो अपनी सहेलियों को सुनाती है मेरी गज़लें वो मुझे नाराज है पर मुझे भूली नही है— % & #प्यारकेधागे #खुली #रंग #सहेलियों #ग़ज़ल #भूल #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob