पैसा,दौलत और वसियत , मानव को जो खुद से भी ज्यादा प्यारी हैं। बता दिया प्रकृति ने उसको , ये दौलत तेरी नहीं हमारी हैं। दिया सहारा रहने को तुमको, तुमने काट कलेजा मेरा खाया। अपने तन का ख्याल रहा पर, मेरा तुमने हर पल दमन किया। कभी बनाये बॉध मेरे सिर , कभी इमारतें ऊँची-ऊँची । अब बहुत हुआ मै सह ना सकूगी, तेरे पल -पल बढ़ते कदमों को। अस्तित्व मिटाकर तेरा अब मै, खुद की शक्ति को तुझे दिखाऊगी। मै धरती का टुकड़ा हूँ , मै खुद ही खुद में समाऊगी। ©Negi Girl Kammu कहर धरती का। #Morning