कभी फासलो का सोचा न था आएगी तेरे मेरे दर्मिया |
कभी न होगी कोइ दुरी न गम दो दिलो के दर्मिया |
फिर आज ये क्या हुआ दुरिया तो मिट गई फ़ासले बड़ गए |
हाथों मे हाथ तो हैं मगर रास्ते अलग हो गए |
मंजिल तो एक हैं मगर रास्तो का पता भुल गए|
फिर आज वो मुझे भुल गए |
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