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#सुपुर्द-ए-ख़ाक मेरी लाश रखी है मेरे घर के आं

#सुपुर्द-ए-ख़ाक

मेरी  लाश रखी है  मेरे  घर के  आंगन में ;
ख़ामोशी का आलम है घर की गलियों में ,
खड़े हैं  अपने ही  लोग  मुझे सजाने को ;
देखते थे जो कल तक तिरछी निगाहों से ।

पूरी तैयारी के साथ जुटे हैं मेरे रिश्तेदार ;

#सुपुर्द-ए-ख़ाक मेरी लाश रखी है मेरे घर के आंगन में ; ख़ामोशी का आलम है घर की गलियों में , खड़े हैं अपने ही लोग मुझे सजाने को ; देखते थे जो कल तक तिरछी निगाहों से । पूरी तैयारी के साथ जुटे हैं मेरे रिश्तेदार ; #pyaarimaa

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