तुझे क्या मालूम मैं तुझे कितना याद करती मेरी ये ऑंखें भी अब मुझसे नफरत करती बेचारी इन आँखों से तेरी यादों की गंगा बहती क्योंकि हर वक़्त तेरी यादों के दर्द में मैं इसे भिगोती। #आँखों_में_कुछ_नमी_सी_हैं #आँखों_का_पानी #आँखोंकाक्याकुसूर