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जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है जिंदगी का रिश्ता

जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है
जिंदगी का रिश्ता अब मस्तानी सा लगता है|

कहीं होता था हर रोज किसी कोने में 
आजकल  मेरा  मेला  छत  पर  लगता  है |

दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम
जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है|

बहुत है तकलीफ़े है मगर हिम्मत भी अंदर है
यहां तो हिम्मत के  सहारे  समंदर पार लगता है|

कुछ परिणामों का इंतजार है परिणाम क्या होंगे
अब  सफर  का  नाता  परिणामों  से  लगता है |

राज है गहरे यहां सब कुछ राज सा लगता है
अब राजों में ही मेरा दफन होने का खतरा लगता है|

अब खुलकर भी नहीं कह सकता मैं कुछ, कुछ भी
सुशील का पलड़ा ना जाने क्यों हल्का सा लगता है | जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है
जिंदगी का रिश्ता का मस्तानी सा लगता है|

कहीं होता था हर रोज किसी कोने में 
आजकल  मेरा  मेला  छत  पर  लगता  है |

दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम
जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है|
जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है
जिंदगी का रिश्ता अब मस्तानी सा लगता है|

कहीं होता था हर रोज किसी कोने में 
आजकल  मेरा  मेला  छत  पर  लगता  है |

दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम
जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है|

बहुत है तकलीफ़े है मगर हिम्मत भी अंदर है
यहां तो हिम्मत के  सहारे  समंदर पार लगता है|

कुछ परिणामों का इंतजार है परिणाम क्या होंगे
अब  सफर  का  नाता  परिणामों  से  लगता है |

राज है गहरे यहां सब कुछ राज सा लगता है
अब राजों में ही मेरा दफन होने का खतरा लगता है|

अब खुलकर भी नहीं कह सकता मैं कुछ, कुछ भी
सुशील का पलड़ा ना जाने क्यों हल्का सा लगता है | जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है
जिंदगी का रिश्ता का मस्तानी सा लगता है|

कहीं होता था हर रोज किसी कोने में 
आजकल  मेरा  मेला  छत  पर  लगता  है |

दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम
जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है|