जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है जिंदगी का रिश्ता अब मस्तानी सा लगता है| कहीं होता था हर रोज किसी कोने में आजकल मेरा मेला छत पर लगता है | दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है| बहुत है तकलीफ़े है मगर हिम्मत भी अंदर है यहां तो हिम्मत के सहारे समंदर पार लगता है| कुछ परिणामों का इंतजार है परिणाम क्या होंगे अब सफर का नाता परिणामों से लगता है | राज है गहरे यहां सब कुछ राज सा लगता है अब राजों में ही मेरा दफन होने का खतरा लगता है| अब खुलकर भी नहीं कह सकता मैं कुछ, कुछ भी सुशील का पलड़ा ना जाने क्यों हल्का सा लगता है | जितना भी हुआ है रूहानी सा लगता है जिंदगी का रिश्ता का मस्तानी सा लगता है| कहीं होता था हर रोज किसी कोने में आजकल मेरा मेला छत पर लगता है | दे ईश्वर थोड़ा सा साथ बस नजारा देखो तुम जो रिश्ता है आंखों में जिंदगी का सहारा लगता है|