मैं राह में उसका इंतजार करुं तो हर्ज क्या है,वो आकर फिर से चले जाए तो हर्ज क्या है। ये जानता हूं कि अमानत है वो किसी और कि,पर एक हसीन ख्वाब सजाऊँ तो हर्ज क्या है। इंतजार