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कहीं खो ना जाना, प्रेम के अंधङ मे इतना, कि पछताना

कहीं खो ना जाना, प्रेम के अंधङ मे  इतना,
कि पछताना पङ जाय,अपनी गलतियों पर।
यह भावना का खेल है,दो दिलों का मेल है, 
फिर क्यों बिगङते मेल,कुछ नादानियों पर ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  दिल से ना खेल

दिल से ना खेल #कविता

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