कल तेरी - मेरी किताब पढ़ने का मन था... हां,सच में,ज़ख़्म हरे करने का मन था... दर्द,दुःख,तन्हाई, मुजराद सब गहरे हो गए, और गिर गए आंसू जहां लिखा था,' साथ ' रहने का मन था... - Pranjal #gps #pranjal #bewafa #dard