मैं वह दीपक हूँ, जाे जलते समय कम बुझ जाने के बाद अधिक उजाला करता हूँ, बस इसीलिए की दुनियाँ तारीफ उसी करती हैं जाे उसके सामने नहीं हाेता हैं.. A thougth by hindi famous poet by sudhanshu pandey.....