आज के दौर मे हम आभासी रिश्ते और आभासी दोस्ती के चक्कर मे अपने वास्तविक रिश्ते को भूलते जा रहे है इसका मुख्य कारण है मीडिया, ध्यान दे कि- हम मोबाइल फोन की छोटी दुनिया के जरिये पूरी दुनिया से जुड़ने का दावा भले ही करते हो पर यह सब आभासी है कुछ भी वास्तविक नही रहा, हम उदास मन से सबको ठीक हु कहने की आदत बना लिए है, किसी की भी तस्वीर को नाइस लिख देते है, जो चित्र पसंद आ जाये उसको जूम करके जी भरके देखते है, खुश होते है, पर अगले ही क्षण फिर अपनी दुनिया मे आ जाते है, अपने लोगो, अपने दोस्तो, अपने घर के लोगो को नाइस बोलने की फुर्शत अब कहा किसको है, हा फेसबुक, व्हाटसप पे जरूर बोल देते है, शायद उनसे मिलके नही बोलते नाही पूछते है कैसे हो, ये मीडिया हमारी दुनिया को समेट के रख दी, हम मानसिक दायरे का संकुचन करते जा रहे है, खुद ही मे घुटते जा रहे है पर किसी से बोल नहीं रहे है- हमे चाहिए की मिलके बात करे, मैसेज का प्रयोग कम से कम करे, किसी को बधाई या मुबारकबाद फोन पे बात करके दे या मिलके, मैसेज से नही, दोस्ती व पारिवारिक एहसास को संजोये रखे, अपनो के साथ अपना मन बाटें। #रिश्तों का अहसास #nojoto