बचपन में माँ का साया सर से छिन जाना देश विभाजन के कारण विस्थापित हो जाना आसान कहाँ होता है अपनी जड़ों से कट जाना कच्ची उम्र में ज़िंदगी के सारे सबक मिल जाना। नसीब नहीं होता गुलों को माली का मिल जाना वक़्त के थपेड़े खा कर भी गुलों का खिल जाना मुमकिन है मिस्त्री का यकायक भाग खुल जाना निरी तन्हाइयों की उपज रही कविता लिखा जाना लम्हों के शायर ने सीखा अशआरों में मिल जाना आसान नहीं था सम्पूर्ण सिंह से गुलज़ार हो जाना मारूफ़ शायर-गीतकार, अफ़साना निगार व फ़िल्मकार गुलज़ार साहब का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 18 अगस्त 1934 को पाकिस्तान पंजाब के दीना प्रान्त में हुआ। उनका पूरा नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है। मगर सारी दुनिया में गुलज़ार के नाम से जाने जाते हैं। उनके लिखे गीत इंसान के सूक्ष्म मनोभावों को एक अद्भुत भाषा में व्यक्त करते हैं। उनके डायलॉग्स और उनका निर्देशन सब भारतीय फ़िल्म इतिहास में अपनी मिसाल ख़ुद है। उनकी शायरी का स्वाद बिल्कुल मुख़्तलिफ़ है। कौन नहीं होगा जो उनके लेखन से प्रभावित न हो। #गुलज़ारसाहब #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi