तेरी बेक़रारी आज़ भी क़माल है। मेरी ज़िन्दग़ी को तेरा ही ख़्याल है। भूल चुका हूँ ग़म के अंज़ाम को मग़र- तेरी ज़ुदाई का आज़ भी मलाल है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय