लौट आता हूं घर बेहताशा हर दिन तुझे ढूँढते ढूँढते सहम जाता हूं अब इन बूंदों से बच निकलता हूं बारिश में भीगते भीगते ये नजरें बेसब्र है तुझे निहारने को दिल आतुर है खनखती पायल को आखिरी पड़ाव में है अब ज़िन्दगी नजर आ जाना सांझ ढलते ढलते 😊😊😊