माननीय मुख्यमंत्री महोदय राजस्थान सरकार आदरणीय आपको विदित होगा की नई शिक्षा नीति मैं बालको की शिक्षा मातृभाषा मैं ही देने पर बल दिया गया हैं। आदरणीय आजादी के 74 वर्ष बाद भी हम राजस्थानी अपनी असली आजादी को तरस रहे हैं , हमें आजादी तो दे दी गई पण हमारी जबान काट ली गई,हम आज भी हमारी मातृभासा का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। जबकि हमारी मातृभासा राजस्थानी को साहित्य अकादमी ने मान्यता दे रखी है, अमेरिका, नेपाल,पाकिस्तान सहित दूसरे देशो मैं भी मान्यता है पण राजस्थानी से राजस्थान के निवासी ही वंचित रहे,यह तो बहुत बड़ा अन्याय होगा। राजस्थान के वि. वि.,महा.वि.,विद्यालयों मैं राजस्थानी विषय संचालित है। राजस्थान के 10 करोड़ जन- जन की भाषा राजस्थानी है और हम सब इसी आस में जी रहे हैं कि कब हमारी मातृभाषा को मान्यता मिले और हमें भी सच्ची आजादी मिलें । आदरणीय आपके ही नेतृत्व मैं 25 अगस्त 2003 को राजस्थानी भाषा मान्यता का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा गया था, आपके ह्रदय मैं जो राजस्थान और राजस्थानियों से प्रेम है वो साफ- साफ दिखता है सा। आप ही आगे आकर अपनी मातृभाषा के लिए कोई न कोई बड़ा फैसला जरूर ले सा। माननीय हम राजस्थानियों को हमारा हक राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलवाये व राजस्थान की राजभाषा बनाने की कृपा करे सा । दिनांक- 25-08-2020 आशा और विश्वास के साथ भवदीय दिलीप हाड़ा"हरप्रीत शशांक" संभागाध्यक्ष मायड़ भासा राजस्थानी छात्र मोरचो कोटा राजस्थान #म्हारोराजस्थान #जय_राजस्थान_जय_राजस्थानी #RAJASTHANI #Rajasthanikavi #हरप्रीत #हरप्रीतशशांक