राधे गोविंद हरि-हरि कृष्णा कृष्णा हरि-हरि गोपियों संग नाचे गोविंद राधा देखे खड़ी-खड़ी गोपियों संग नाचे गोपाल जले राधा हंँसे नंदलाल प्रेम मुरलिया बाजे मन में हर्षित होवे उपवन में देख राधा क्रोध में गोपियां गई डरी-डरी गोपियों संग नाचे गोविंद... रूठी राधा रख उपवास ओ रे कान्हा...ना आऊं तोरे पास देख नाही मोको हंँस हंँस के हंँसी तोरी जाए डस-डस के मनमोहन घनश्याम से ख़ूब राधा लड़ी-लड़ी गोपियों संग नाचे गोविंद... बोले कान्हा तू मेरी राधा तुम बिन मैं रहूंँ आधा गोपियों संग करूंँ झूठा-झूठा रास तुममें बसती मेरी हर सांँस मौन राधा की हंँस गई आंखें बड़ी बड़ी गोपियों संग नाचे गोविंद संग राधा भी नाचे खड़ी-खड़ी राधे गोविंद हरि-हरि कृष्णा कृष्णा हरि-हरि गोपियों संग नाचे गोविंद राधा देखे खड़ी-खड़ी गोपियों संग नाचे गोपाल जले राधा हंँसे नंदलाल प्रेम मुरलिया बाजे मन में हर्षित होवे उपवन में