बरसों पुरानी बात को आज भी लगाए बैठे हो दिल से वतन तुम्हारा भी आबाद हैं और हमारा भी दो जून की रोटी तुमको भी नसीब हैं हमको भी धर्म तुम्हारा भी बेमिसाल हैं हमारा भी जब सब सही हैं भाईजान तो अपने घर की रौनक को क्यूँ दूर कर रहे हो क्यों एक माँ का बेटा एक बेग़म का शौहर रखवाली कर रहा हैं सरहद किनारे क्यों इतना ख़ौफ़ हैं हैं तो सब एक मालिक की संतान तो किस का डर हैं एक तुम मारो एक हम मारे कितने मारेंगे कितने मरेंगे न जाने कितने घर सुनसान होंगे जब बट ही गये हो दो मुल्कों में तो अब क्या बैर ?? बन ही गये न मोहरे हो न तुम हिन्दू तुम मुसलमाँ तो अब किस बात की रंजिश ।।। #vatan