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यह कड़कड़ाती बिजली उस पर तेरा गरम मिजाज बरसात भी ह

यह कड़कड़ाती बिजली
उस पर तेरा गरम मिजाज
बरसात भी ह़ो रही
ललचाए मन आज
सारे सपने मेरे मन पर
सवार बन आरजू का ताज
आज तू पिघले तो
मैं छोड़ूं सारी लाज।‌।

©Mohan Sardarshahari
  छोडूं सारी लाज

छोडूं सारी लाज #कामुकता

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