हम बीते लम्हों को याद कर.. ...अफसोस कर रहे हैं असल ख़ुशी तो आज के इन पलों में है अगर मुस्कुराना चाहो तो आज काफ़ी है असल दुःख जहां ना मुस्कुरा सके उन बीते कलों में है प्यार चाहिए.... ..तो पहले खुद बांटना शुरू करो क्यूंकि चापलूसी तो उन मुखोंटों की दलदलों में है शांति ढूंढ़ने चलते हो.. ...सब कुछ छोड़ कुछ देर अपने भीतर तो देखो क्यूंकि असल अशांति तो... ...खोने पाने की हलचलों में है हम बीते लम्हों को याद कर.. ...अफसोस कर रहे हैं असल ख़ुशी तो आज के इन पलों में है अगर मुस्कुराना चाहो तो आज काफ़ी है असल दुःख जहां ना मुस्कुरा सके उन बीते कलों में है प्यार चाहिए.... ..तो पहले खुद बांटना शुरू करो