पूरे देश की यही पुकार... भेड़ियों को घर में घुस के मारो इस बार... आतंक की यह चरम सीमा है... आगे इसके लेखनी की गरिमा है... क्या उन मांओं पर बीती होगी... कैसे उनकी बहनें अब जीती होंगी... कितनी सुहागनों का सुहाग उजड़ा होगा... कितने बेटों के सिर से हाथ पिता का उठा होगा... बूढ़े बापों की लाठी टूटी होगी... बेख़ौफ़ सोती सरकारों की नींदें टूटी होगी... हुक्मरानों अब तो कुछ कर दिखलाओ... इन कायर हिजड़ों को सबक सिखलाओ... इस बार माफी की मुर्गी मत ले आना... इस बार शहादत को बेकार मत जाने देना... हर कतरे का हिसाब कर जाना... हैवानों को कुत्ते की मौत मार गिराना... पापियों के पाप से मैली यह धरा हो गयी... क्यों शस्य श्यामला भारत माँ अब जरा हो गयी...? पूरे देश में एक ही गान उठा है... एक स्वर में आह्वान उठा है... इतिहास दोहराने की नौबत ना आने देना... इस बार नक्शे से इसका नाम-ओ-निशाँ मिटा देना... *दाधीच प्रवीण शर्मा* *नागौर, राजस्थान* ©dadhichpraveensharma #NojotoQuote *आह्वान हिंदुस्तान का...* पूरे देश की यही पुकार... भेड़ियों को घर में घुस के मारो इस बार... आतंक की यह चरम सीमा है... आगे इसके लेखनी की गरिमा है... क्या उन मांओं पर बीती होगी...