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दंश (In Caption) Part I Ch- 3 "आदित्य जी मैं कुछ प

दंश
(In Caption)
Part I Ch- 3 "आदित्य जी मैं कुछ पूछ रहीं हूं, 
तनु कहां है और आप उसके बैग के साथ क्या कर रहे हैं।"

मां बुरी तरह चिल्ला रही थी, उनके सब्र का बांध टूट चुका था, और भला टूटे भी क्यों ना...? वो पिछले आधे घंटे से सवाल किए जा रही थी और पापा किसी मूर्ति की तरह चुपचाप बैठे थे, जैसे यमराज ने उनके हर प्रयास को विफल कर अंततः उनके प्राण हरने में सफ़ल हो गए थे। 

फिर ना जाने अचानक से क्या हुआ, पापा ज़ोरों से रो पड़े, और बार - बार दीदी का नाम लिए जा रहे थे।
ये सब देखकर मां और भी घबरा गई और मैं.... मुझे अबतक समझ नहीं आ रहा
दंश
(In Caption)
Part I Ch- 3 "आदित्य जी मैं कुछ पूछ रहीं हूं, 
तनु कहां है और आप उसके बैग के साथ क्या कर रहे हैं।"

मां बुरी तरह चिल्ला रही थी, उनके सब्र का बांध टूट चुका था, और भला टूटे भी क्यों ना...? वो पिछले आधे घंटे से सवाल किए जा रही थी और पापा किसी मूर्ति की तरह चुपचाप बैठे थे, जैसे यमराज ने उनके हर प्रयास को विफल कर अंततः उनके प्राण हरने में सफ़ल हो गए थे। 

फिर ना जाने अचानक से क्या हुआ, पापा ज़ोरों से रो पड़े, और बार - बार दीदी का नाम लिए जा रहे थे।
ये सब देखकर मां और भी घबरा गई और मैं.... मुझे अबतक समझ नहीं आ रहा
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