तुम जो गरीबों किस हिस्सो की रोशनी करते हो, जाने क्यों तुम उनकी छोटी खुशियों से डरते हो, वो भी इंसान के पुतले ही मिलेंगे तुम्हे बाहर से, ग़लत है जब तुम नकारते हो उनकी हैसियत से। ग़लत तुम नहीं ये समाज ही भरा हुआ है, यहां अमादक दबाने को हर शक्श खड़ा हुआ है, यहां बचपन से लचारो को नफ़रत भरा हुआ है, ग़लत है जब तुम इनको कहते हो मरा हुआ है। यहां खुशियां भी अपने हिस्से में उनकी मोहताज है, उनके है हाथों से बना तुम्हारा झूठा तख़्तों ताज है, तुम्हारी आरामतलबी के लिए डूबा उनका आज है, गलत है जब तुम कहते हो कि वो पराई मोहताज है। यह ज़रूरी है कि दिन को दिन कहा जाए और रात को रात। सही को सही और ग़लत को गलत। लिखें जो आपकी नज़र में ग़लत है। #ग़लतहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi