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"जय श्री कृष्ण" मनुष्य का पुरुषार्थ कृष्ण ह

       "जय श्री कृष्ण"
मनुष्य का पुरुषार्थ कृष्ण है
मन में परमार्थ का भाव कृष्ण है
भवसागर के पार कृष्ण है
भवसागर में व्याप्त कृष्ण है
गीता का सार कृष्ण है 
जीत और हार कृष्ण है
 जीने का विधान कृष्ण है 
हर पीड़ा का निदान कृष्ण है
                            सुख दुख हानि लाभ कृष्ण है
                             कण कण में व्याप्त कृष्ण है 
                              विष्णु का अवतार कृष्ण है 
                               मीरा का संसार कृष्ण है
                               विदुर का भाव कृष्ण है
                              यारी का पर्याय कृष्ण है 
                              दुष्टों का संहार कृष्ण है 
पांचाली का विश्वास कृष्ण है
अर्जुन की आस कृष्ण है
गोपियों के रास कृष्ण है
अभिमन्यु से वीर कृष्ण है
युधिष्ठिर से धीर कृष्ण है 
यमुना जी का नीर कृष्ण है
गोवर्धन से विशाल कृष्ण है 
हर जवाब हर सवाल कृष्ण है

कृष्ण अजर अमर अमिट अविनाशी हैं
कृष्ण मुझमें ,तुम में  कण कण के वासी हैं।

 श्री कृष्ण हरे मुरारी
       "जय श्री कृष्ण"
मनुष्य का पुरुषार्थ कृष्ण है
मन में परमार्थ का भाव कृष्ण है
भवसागर के पार कृष्ण है
भवसागर में व्याप्त कृष्ण है
गीता का सार कृष्ण है 
जीत और हार कृष्ण है
 जीने का विधान कृष्ण है 
हर पीड़ा का निदान कृष्ण है
                            सुख दुख हानि लाभ कृष्ण है
                             कण कण में व्याप्त कृष्ण है 
                              विष्णु का अवतार कृष्ण है 
                               मीरा का संसार कृष्ण है
                               विदुर का भाव कृष्ण है
                              यारी का पर्याय कृष्ण है 
                              दुष्टों का संहार कृष्ण है 
पांचाली का विश्वास कृष्ण है
अर्जुन की आस कृष्ण है
गोपियों के रास कृष्ण है
अभिमन्यु से वीर कृष्ण है
युधिष्ठिर से धीर कृष्ण है 
यमुना जी का नीर कृष्ण है
गोवर्धन से विशाल कृष्ण है 
हर जवाब हर सवाल कृष्ण है

कृष्ण अजर अमर अमिट अविनाशी हैं
कृष्ण मुझमें ,तुम में  कण कण के वासी हैं।

 श्री कृष्ण हरे मुरारी