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कभी देखता हूं उस भीड़ को जहां हर चेहरे पर नक़ाब है

कभी देखता हूं उस भीड़ को
जहां हर चेहरे पर नक़ाब है
तो दहकता है दिल मेरा
जलती ज़मीर की आग है।।

कि अकेलापन मेरा, मुझपर हंसकर
कुछ यूं तंज कस देता है।।
जनाब कहां ईमानदारी के सौदे में हो..?
यहां जालसाज़ो का मेला है।।

पर पलट कर देखता हूं जब भी
मैं वह झूठ की इमारत
शक्ति नहीं उसकी बुनियाद में
कुछ झोंके से हो जाएगी ग़ारत।।

और अर्ज़ है कि हमें खुशबू पसंद है अपने गुंचा-ए-हक़ीकत की
ये फरेब का जंगल हमें रास नहीं आता।। सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना  collab करें। 
अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। 
हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। 
कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। 
अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। 
आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे। 
Best of luck👍
कभी देखता हूं उस भीड़ को
जहां हर चेहरे पर नक़ाब है
तो दहकता है दिल मेरा
जलती ज़मीर की आग है।।

कि अकेलापन मेरा, मुझपर हंसकर
कुछ यूं तंज कस देता है।।
जनाब कहां ईमानदारी के सौदे में हो..?
यहां जालसाज़ो का मेला है।।

पर पलट कर देखता हूं जब भी
मैं वह झूठ की इमारत
शक्ति नहीं उसकी बुनियाद में
कुछ झोंके से हो जाएगी ग़ारत।।

और अर्ज़ है कि हमें खुशबू पसंद है अपने गुंचा-ए-हक़ीकत की
ये फरेब का जंगल हमें रास नहीं आता।। सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना  collab करें। 
अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। 
हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। 
कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। 
अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। 
आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे। 
Best of luck👍
rabiyanizam6257

Rabiya Nizam

New Creator