वो घड़ी भी आ जाये जिसमें अच्छी बात हो सूरज निकले धीरे धीरे ऐसा भी प्रभात हो कलियों पर हो ओस की बूदे शाम ढले तारों के संग झिलमिल झिलमिल करती रात हो आयो रे भोर कहाँ से