तेरे रूप की अदा पर हर आशिक़ फ़िदा। वही एक चीज़ तुझे क्या पता तेरी भोली अदा। तेरी इक अदा तेरी एक सदा जो तड़प रहे थे। बहल गए जो गिरे थे वे भी गिर के संभल गए। रूप की अदा, तेवर और शर्म सरीखे तुमने। कैद में ना जाने कितने ही गुलाम रक्खे तुमने। तेरी रूप की अदा और हर इक नज़ाकत। अब सिर्फ़ इन्हें है सच्चे प्यार की तलाश। ♥️ Challenge-856 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।