" कुछ बात मुनासिब कर तो देते, जऱा सी बात ❤ कुछ खास कर तो देते, अदावते इश्क़ की किस लब्ज में समझाई जाये, जो कुछ भी मुमकिन था कही तक ला के छोड़ तो देते, आधी-अधुरी जहाँ तक बन पड़ता चलाते हम, किसी गली - मुहल्ले - चैराहे तक ला के मुझे छोड़ तो देते. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कुछ बात मुनासिब कर तो देते, जऱा सी बात ❤ कुछ खास कर तो देते, अदावते इश्क़ की किस लब्ज में समझाई जाये, जो कुछ भी मुमकिन था कही तक ला के छोड़ तो देते, आधी-अधुरी जहाँ तक बन पड़ता चलाते हम, किसी गली - मुहल्ले - चैराहे तक ला के मुझे छोड़ तो देते. " --- रबिन्द्र राम