Nojoto: Largest Storytelling Platform

ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर सैली स

ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर 
सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश पर 
फ़ासले हैं भी और नहीं भी नापा तौला कुछ भी नहीं 
लोग ब-ज़िद रहते हैं फिर भी रिश्तों की पैमाइश पर 
मुँह मोड़ा और देखा कितनी दूर खड़े थे हम दोनों 
आप लड़े थे हम से बस इक करवट की गुंजाइश पर 
काग़ज़ का इक चाँद लगा कर रात अँधेरी खिड़की पर 
दिल में कितने ख़ुश थे अपनी फ़ुर्क़त की आराइश पर
  
   - गुलज़ार जी #BoneFire #Gulzarsahab #Gulzar #gulzarji #Poetry #keep_muskurana
ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर 
सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश पर 
फ़ासले हैं भी और नहीं भी नापा तौला कुछ भी नहीं 
लोग ब-ज़िद रहते हैं फिर भी रिश्तों की पैमाइश पर 
मुँह मोड़ा और देखा कितनी दूर खड़े थे हम दोनों 
आप लड़े थे हम से बस इक करवट की गुंजाइश पर 
काग़ज़ का इक चाँद लगा कर रात अँधेरी खिड़की पर 
दिल में कितने ख़ुश थे अपनी फ़ुर्क़त की आराइश पर
  
   - गुलज़ार जी #BoneFire #Gulzarsahab #Gulzar #gulzarji #Poetry #keep_muskurana