कह गया सब दास्तां काटों भरी मंजिल तेरी, जीना तुझे झुठला के है, पथरीला है सब रास्ता, कहां मजा अब पा के है, मैं कब झुका और टूटा, मजा दर्द के बिरहन में है, जो कह गया सब दास्तां। तुझे सोच के सिहरन में है, ये कैसी खता मैं कर गया, बारूद सा मन है भरा,। की कह गया में सब दास्तां। ख़यालो में है एक चिंगारी, विस्फोटक सैलाब ऐसा आया, दर्द है और वो रहेगा, की बह गया सब वास्ता, तुझे छोड़ मन कैसे रहेगा, मुझे जरा भी इल्म नहीं, तेरी बिरहा की जुदाई, क्यों कह गया सब दास्तां। बावला मन कैसे सहेगा, किस से करू फरियाद यहां, क्यों ना कहूं सब से मैं दास्तां। कह गया सब दासता #yqbaba #yqdidi #yqdastan #yqdidichallenge #yqbabachallenge #yqbhaskar #writer #yqmdwriter