हॉथ कापेंगे मेरा नंबर डिलीट करते हो ईश्क़ का खेल शतरंज नही है साहिब मात खाई है मगर घर नही बदला अपना , ना जाने किस वक़्त अचानक याद आ जाये मेरी उसको ये सोचकर नंबर नहीँ बदला अपना harihar