फ़रियाद, फरमाइश सब आपके हैं.. ताज़्जुब है, आपको फिर भी ग़िले हैं... सामने हमारे, #दलीलें क्यों रखतें हैं.. हम खुद मुकर्रर-ए-मुज़रिम ठहरें हैं... ©Nishank Pandey #दलीलें