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कल, ​सावन की, बरसी ​पहली अमृत फुहार, ​भूमि का आलिं

कल,
​सावन की,
बरसी ​पहली अमृत फुहार,
​भूमि का आलिंगन कर,
​उसके गर्भ मे,
​समाहित,
​हो गयी,
​फागुन की,
​बलखाती भोर को,
​भूमि के गर्भ से,
​एक प्रीत का अंकुर फूटा,
​जो बनी ममतामयी भूमिजा,
​ कल,
​सावन की,
बरसी ​पहली अमृत फुहार,
​भूमि का आलिंगन कर,
​उसके गर्भ मे,
​समाहित,
​हो गयी,
​फागुन की,
कल,
​सावन की,
बरसी ​पहली अमृत फुहार,
​भूमि का आलिंगन कर,
​उसके गर्भ मे,
​समाहित,
​हो गयी,
​फागुन की,
​बलखाती भोर को,
​भूमि के गर्भ से,
​एक प्रीत का अंकुर फूटा,
​जो बनी ममतामयी भूमिजा,
​ कल,
​सावन की,
बरसी ​पहली अमृत फुहार,
​भूमि का आलिंगन कर,
​उसके गर्भ मे,
​समाहित,
​हो गयी,
​फागुन की,
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