Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये रश्म रही है दुनिया की ज़िंदा लोगों को कुचलती मु

ये रश्म रही है दुनिया की
ज़िंदा लोगों को कुचलती मुर्दों पे फूल चढ़ाती है।
मेरी महबूबा भी ऐसी ही है,आशिक़ को तड़पाती है और किसी गधे से पत्त जाती है।। महबूबा
ये रश्म रही है दुनिया की
ज़िंदा लोगों को कुचलती मुर्दों पे फूल चढ़ाती है।
मेरी महबूबा भी ऐसी ही है,आशिक़ को तड़पाती है और किसी गधे से पत्त जाती है।। महबूबा