कोशिश करता हूँ रोज़ उसे भूलाने की, शिकस्त है या जीत हिस्से, पता नहीं। वो मेरा था भी या नहीं, पता नहीं। जुर्म किसका था, खता किसकी, पता नहीं। बेवजह था लगाव या साजिश थी, पता नहीं। निकल जाएगा या रहेगा ज़ेहन में, पता नहीं। वो इन सब से वाकिफ भी है या नहीं, पता नहीं। कोई है उसके मन-मंदिर में या नहीं, पता नहीं। कभी सुना बैठे हाल-ए-दिल तो क्या होगा, पता नहीं। 'सौमित्र' भुला दे उसे जो तेरा था भी या नहीं, पता नहीं। #yqpata_nahi #yqkhta #yqzurm #yqzehan #yqsajish #yqman #yqmandir #yqsaumitr