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जल्दी में हों तो बनारस मत आना..... बनारस की नींद

जल्दी में हों तो बनारस मत आना.....

बनारस की नींद धीरे-धीरे खुलती है .....
आहिस्ता-आहिस्ता जागता है यह शहर

©Er.Shivam Tiwari
  #बनारस 
जल्दी में हों तो बनारस मत आना.....

बनारस की नींद धीरे-धीरे खुलती है .....
आहिस्ता-आहिस्ता जागता है यह शहर ....

यह दुबई नहीं कि दिन में बुर्ज खलीफा देखा, शाम को फाउंटेन देखा, दुबई मॉल में थोड़ी खरीददारी करी, बीयर-सीयर पीया और होटल में जाकर, खाना खाकर, लुढ़क गए बिस्तर में। एक दिन में बनारस घूमना तो क्या ठीक से देखना भी नहीं हो पायेगा। जैसे मंदिर में इत्मिनान से जाते हैं। बाहर चप्पल उतारकर श्रद्धा से शीश झुकाते हुए प्रवेश करते हैं, शांत भाव से जुड़ते हैं भगवानसे, हां…ठीक वैसे ही आना बनारस। चंचलता की पोटली अपने शहर में छोड़कर।
बड़ी सी तोंद लटकाये तेज-तेज चलने वाले किसी व्यक्ति को देखकर मत समझना कि वो किसी जल्दी में है। आगे चलकर ठहरेगा। घंटों चाय या पान की दुकान में बैठकर देश की चिंता करेगा। हर चुस्की में करेगा बात नये घोटाले की, हर पीक थूकेगा किसी भ्रष्ट नेता का नाम लेकर। चाय वाला जल्दी से नहीं देता चाय। जानता है कि इसे चाय नहीं, चर्चा की चाह खींच लाई है। चाय तो यह घर में भी पी लेता। पान वाला जल्दी से नहीं देगा पान। मानता है इन्हें खाने की कोई जल्दी नहीं है। पान तो वह किसी को भेजकर भी मंगा लेता। घाट में उतरोगे तो नाव वाला आपको देखते ही समझ जायेगा कि आप किस दर्जेके हो। धनपशु हो, लोभी हो या रसिक।

#बनारस जल्दी में हों तो बनारस मत आना..... बनारस की नींद धीरे-धीरे खुलती है ..... आहिस्ता-आहिस्ता जागता है यह शहर .... यह दुबई नहीं कि दिन में बुर्ज खलीफा देखा, शाम को फाउंटेन देखा, दुबई मॉल में थोड़ी खरीददारी करी, बीयर-सीयर पीया और होटल में जाकर, खाना खाकर, लुढ़क गए बिस्तर में। एक दिन में बनारस घूमना तो क्या ठीक से देखना भी नहीं हो पायेगा। जैसे मंदिर में इत्मिनान से जाते हैं। बाहर चप्पल उतारकर श्रद्धा से शीश झुकाते हुए प्रवेश करते हैं, शांत भाव से जुड़ते हैं भगवानसे, हां…ठीक वैसे ही आना बनारस। चंचलता की पोटली अपने शहर में छोड़कर। बड़ी सी तोंद लटकाये तेज-तेज चलने वाले किसी व्यक्ति को देखकर मत समझना कि वो किसी जल्दी में है। आगे चलकर ठहरेगा। घंटों चाय या पान की दुकान में बैठकर देश की चिंता करेगा। हर चुस्की में करेगा बात नये घोटाले की, हर पीक थूकेगा किसी भ्रष्ट नेता का नाम लेकर। चाय वाला जल्दी से नहीं देता चाय। जानता है कि इसे चाय नहीं, चर्चा की चाह खींच लाई है। चाय तो यह घर में भी पी लेता। पान वाला जल्दी से नहीं देगा पान। मानता है इन्हें खाने की कोई जल्दी नहीं है। पान तो वह किसी को भेजकर भी मंगा लेता। घाट में उतरोगे तो नाव वाला आपको देखते ही समझ जायेगा कि आप किस दर्जेके हो। धनपशु हो, लोभी हो या रसिक। #Thoughts #अद्वितीय #अद्भुत #असाधारण #अनूठी #अकल्पनीय #अतुलनीय #अप्रतिम #अकलंकित #अकिल्विष

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