चला गया वह चांदनी रातों में सोया उसने सुनहरी धूप का मजा उठाया कुछ करने कि तैयारी में कुछ न कर सका जिन्दगी गुजार कर ....वह गुजर गया यू ही हार कर चला गया चला गया जिन्दादिली में रहकर सब पर प्यार बरसाया खुद दुखों का बोझ ढोकर दूसरों के लिए खुशियों का सेज सजाया फिर क्यों ? एक दिन वह बिन बताए चला गया चला गया जब बेवफाई कि घटना घट गई विशवास कि नीव हिल गई मन के धागे टुट गए सपने आँसुओं में बह गए कशमकश हैं ! जिंदगी आखिरी लम्हों में सबसे दूर हो कर न जाने कहाँ चला गया चला गया " चला गया '