हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, अधूरी सी ख्वाहिशों के लिए हाथ मलते है। कितनी दफा गैरो से बेमतलब जलते है। दिल के ना जाने कितने अरमान पलते है। ख्वाहिशों की गठरी उतारकर कितने सुकूँ से मिलते हैं। हर दफ़ा ना जाने कितने दिल फूलो से खिलते हैं। कितनो के तो मुँह पर ताले कितनो के जुबान सिलते हैं। हज़ार ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते है। हम से हमसफ़र जरा मुश्किल से मिलते हैं #NojotoQuote #HumariAdhuriKahani #CTL अधूरी सी ख्वाहिशों के लिए हाथ मलते है। कितनी दफा गैरो से बेमतलब जलते है। दिल के ना जाने कितने अरमान पलते है। ख्वाहिशों की गठरी उतारकर