कण कण से उठकर आज लाख हुए यूं तो लाख थे यार मेरे पर मुसीबत के वक्त सब खाक हुए यूं तो सफ़र जिंदगी का रोज रोज मिटता है, पर माता पिता की ये अमर छवि रोज रोज हौसला भरती हैं कहने को तो रोज रोज चलता ईन तुफानौ में पर इन तूफ़ानों में इतनी ताकत नहीं की मुझे उड़ा सके क्यू की मेरे मां का पल्लू इन तूफानों की दिशा मोड़ देती है जय जय भारत #hoslo ki takat by Rahul verma