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मैं पर्वत भी चढ़कर,उस पार आऊंगा मैं थक कर भी,हार

मैं पर्वत भी चढ़कर,उस पार आऊंगा 
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा 
सोच लिया एक बार तो,फिर क्यों,सोचू बार-बार 
मैं अंधेरे में खुद को,रोशन,करूंगा हजार बार 
है मुश्किल,तो होना ,मुझे किस बात का डर 
मैं जीद की,आखिरी सांस तक लडूंगा 
बड़ी खामोशी से,इस राह पर चलूंगा 
बड़े जोर से,हर किसी को कहूंगा 
हार मान कर तो,नहीं जाऊंगा 
वक्त की आंख में आंख मिलाकर,वक्त के साथ चलूंगा 
लिखूंगा,एक दिन खुद की,कहानी  
इस कहानी के लिए,खुद को दिन रात दौड़ाऊंगा..
मैं पर्वत भी,चढ़कर उस पार आऊंगा 
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा..
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा... #मैं_थक कर भी,#हार नहीं मानूंगा!!
मैं पर्वत भी चढ़कर,उस पार आऊंगा 
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा 
सोच लिया एक बार तो,फिर क्यों,सोचू बार-बार 
मैं अंधेरे में खुद को,रोशन,करूंगा हजार बार 
है मुश्किल,तो होना ,मुझे किस बात का डर 
मैं जीद की,आखिरी सांस तक लडूंगा 
बड़ी खामोशी से,इस राह पर चलूंगा 
बड़े जोर से,हर किसी को कहूंगा 
हार मान कर तो,नहीं जाऊंगा 
वक्त की आंख में आंख मिलाकर,वक्त के साथ चलूंगा 
लिखूंगा,एक दिन खुद की,कहानी  
इस कहानी के लिए,खुद को दिन रात दौड़ाऊंगा..
मैं पर्वत भी,चढ़कर उस पार आऊंगा 
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा..
मैं थक कर भी,हार नहीं मानूंगा... #मैं_थक कर भी,#हार नहीं मानूंगा!!