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भारत जैसे विविधताओं से भरे देश मे हिन्दी एक सम्पर्

भारत जैसे विविधताओं से भरे देश मे हिन्दी एक सम्पर्क भाषा के रूप में बहोत उपयोगी सिद्ध होगी। 
गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राजभाषा विकाश मंच के तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में सहभाग किया। विद्यार्थियों का ऊर्जा प्रभावित करने वाला था। अपने  संबोधन में युवाओं को शक्ति का नियम व मानव व्यवहार के बारे में बताते हुए उनसे भाषा विकाश में योगदान देने का साधारण नियम बताया । इसी क्रम में मैन कहा कि मैं मिथिला क्षेत्र से हूँ और मेरी मातृभाषा मैथिली है और मेरा मानना है कि हिन्दी या किसी भाषा संस्कृति का उत्कर्ष उनके अनुयायियों के उत्कर्ष से जुड़ा है। यदि आज के युवा चाहते हैं कि हिन्दी अपने उत्कर्ष को प्राप्त करे तो आवश्यक है कि ये लोग जीवन के हर आयाम में सफल हो उत्कृष्ठ आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया उनका अनुकरण करे। दुनियां  हमेशा विजेताओं व शक्ति सम्प्पन व्यक्तियों का अनुकरण करती है अतः भाषा संस्कृति के विकाश का एक साधारण तरीका है कि आप अपने जीवन मे आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया आपकी भाषा संस्कृति का अनुकरण करे। हिन्दी को किसी पर थोपने से हिन्दी का नुकसान मात्र होगा फायदा नही।   भाषा भाव जगत से जुड़ी होती है व भाषा मात्र संवाद का माध्यम है ना कि विवाद का। सभी भारतीये भाषा फोनेटिकली बहोत उन्नत हैं उनके आपसी सामंजस्य व उनके सहयोग से हीं हिन्दी भी प्रतिष्टित होगी।

©BK Mishra भारत जैसे विविधताओं से भरे देश मे हिन्दी एक सम्पर्क भाषा के रूप में बहोत उपयोगी सिद्ध होगी। 
गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राजभाषा विकाश मंच के तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में सहभाग किया। विद्यार्थियों का ऊर्जा प्रभावित करने वाला था। अपने  संबोधन में युवाओं को शक्ति का नियम व मानव व्यवहार के बारे में बताते हुए उनसे भाषा विकाश में योगदान देने का साधारण नियम बताया । इसी क्रम में मैन कहा कि मैं विद्यापति, दिनकर, रेणु व नागार्जुन जैसे भाषा ऋषियों की भुमी मिथिला क्षेत्र से हूँ और मेरी मातृभाषा मैथिली है और मेरा मानना है कि हिन्दी या किसी भाषा संस्कृति का उत्कर्ष उनके अनुयायियों के उत्कर्ष से जुड़ा है। यदि आज के युवा चाहते हैं कि हिन्दी अपने उत्कर्ष को प्राप्त करे तो आवश्यक है कि ये लोग जीवन के हर आयाम में सफल हो उत्कृष्ठ आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया उनका अनुकरण करे। दुनियां  हमेशा विजेताओं व शक्ति सम्प्पन व्यक्तियों का अनुकरण करती है अतः भाषा संस्कृति के विकाश का एक साधारण तरीका है कि आप अपने जीवन मे आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया आपकी भाषा संस्कृति का अनुकरण करे। हिन्दी को किसी पर थोपने से हिन्दी का नुकसान मात्र होगा फायदा नही।   भाषा भाव जगत से जुड़ी होती है व भाषा मात्र संवाद का माध्यम है ना कि विवाद का। सभी भारतीये भाषा फोनेटिकली बहोत उन्नत हैं उनके आपसी सामंजस्य व उनके सहयोग से हीं हिन्दी भी प्रतिष्टित होगी।

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भारत जैसे विविधताओं से भरे देश मे हिन्दी एक सम्पर्क भाषा के रूप में बहोत उपयोगी सिद्ध होगी। 
गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राजभाषा विकाश मंच के तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में सहभाग किया। विद्यार्थियों का ऊर्जा प्रभावित करने वाला था। अपने  संबोधन में युवाओं को शक्ति का नियम व मानव व्यवहार के बारे में बताते हुए उनसे भाषा विकाश में योगदान देने का साधारण नियम बताया । इसी क्रम में मैन कहा कि मैं मिथिला क्षेत्र से हूँ और मेरी मातृभाषा मैथिली है और मेरा मानना है कि हिन्दी या किसी भाषा संस्कृति का उत्कर्ष उनके अनुयायियों के उत्कर्ष से जुड़ा है। यदि आज के युवा चाहते हैं कि हिन्दी अपने उत्कर्ष को प्राप्त करे तो आवश्यक है कि ये लोग जीवन के हर आयाम में सफल हो उत्कृष्ठ आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया उनका अनुकरण करे। दुनियां  हमेशा विजेताओं व शक्ति सम्प्पन व्यक्तियों का अनुकरण करती है अतः भाषा संस्कृति के विकाश का एक साधारण तरीका है कि आप अपने जीवन मे आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया आपकी भाषा संस्कृति का अनुकरण करे। हिन्दी को किसी पर थोपने से हिन्दी का नुकसान मात्र होगा फायदा नही।   भाषा भाव जगत से जुड़ी होती है व भाषा मात्र संवाद का माध्यम है ना कि विवाद का। सभी भारतीये भाषा फोनेटिकली बहोत उन्नत हैं उनके आपसी सामंजस्य व उनके सहयोग से हीं हिन्दी भी प्रतिष्टित होगी।

©BK Mishra भारत जैसे विविधताओं से भरे देश मे हिन्दी एक सम्पर्क भाषा के रूप में बहोत उपयोगी सिद्ध होगी। 
गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राजभाषा विकाश मंच के तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में सहभाग किया। विद्यार्थियों का ऊर्जा प्रभावित करने वाला था। अपने  संबोधन में युवाओं को शक्ति का नियम व मानव व्यवहार के बारे में बताते हुए उनसे भाषा विकाश में योगदान देने का साधारण नियम बताया । इसी क्रम में मैन कहा कि मैं विद्यापति, दिनकर, रेणु व नागार्जुन जैसे भाषा ऋषियों की भुमी मिथिला क्षेत्र से हूँ और मेरी मातृभाषा मैथिली है और मेरा मानना है कि हिन्दी या किसी भाषा संस्कृति का उत्कर्ष उनके अनुयायियों के उत्कर्ष से जुड़ा है। यदि आज के युवा चाहते हैं कि हिन्दी अपने उत्कर्ष को प्राप्त करे तो आवश्यक है कि ये लोग जीवन के हर आयाम में सफल हो उत्कृष्ठ आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया उनका अनुकरण करे। दुनियां  हमेशा विजेताओं व शक्ति सम्प्पन व्यक्तियों का अनुकरण करती है अतः भाषा संस्कृति के विकाश का एक साधारण तरीका है कि आप अपने जीवन मे आदर्श प्रस्तुत करें ताकि दुनिया आपकी भाषा संस्कृति का अनुकरण करे। हिन्दी को किसी पर थोपने से हिन्दी का नुकसान मात्र होगा फायदा नही।   भाषा भाव जगत से जुड़ी होती है व भाषा मात्र संवाद का माध्यम है ना कि विवाद का। सभी भारतीये भाषा फोनेटिकली बहोत उन्नत हैं उनके आपसी सामंजस्य व उनके सहयोग से हीं हिन्दी भी प्रतिष्टित होगी।

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