Let's pray for Afghanistan. देखो ये धरती आज लाल रंग से सज रही हैं, घूंघट की आड़ में बिलखती हुई दुल्हन सी लग रही हैं। काफिर हूं मैं, गुरुर करने को ये बात काफी हैं, वरना धर्म के नाम पर कितनी लाशें कट रही हैं। हे मानव, तेरी इंसानियत कौनसा नशा करके सो रही हैं, देख तेरे मुल्क में बिन मौसम खून की होली हो रही हैं। तेरी इंसानियत कौनसे मजहब के लिए बिकी हुई हैं, कौनसे धर्म में इंसानियत की ये परिभाषा लिखी हुई हैं। आज तेरा मजहब भी मुंह छुपा के रो रहा हैं, कि ये कैसा तमाशा मेरे नाम पे हो रहा हैं। #मोनिका वर्मा ©Monika verma #save_इंसानियत #lets_pray_for_इंसानियत #Afghanistan