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कहाँ नही मैं तुझको ढूँढा, ढूँढा तुझको गली-गली। साव

कहाँ नही मैं तुझको ढूँढा,
ढूँढा तुझको गली-गली।
सावन की बूंदों की मस्ती में,
घुमकर देखा कली-कली।
मन में सोंचा कितनी भली थी,
किस गली में पली बढ़ी।
बूंदों में भीगता चला गया,
प्रेयसी तेरी सीधी गली।
शाम ढली, विश्राम लिया,
चाय पीने को जी किया,
गरम घूंट मैं ले रहा था
मन ही मन मैं सोच रहा था,
पता नही वो कहाँ चली
अनायास! नजर मेरी वहां गयी,
जहाँ, थी वो अपनी छत खड़ी,
नजर उसकी भी मुझ पर पड़ी,
वाह! ये कुदरती मिलन,
हो, प्रसन्न चित्त मैं चल पड़ा
अब ढूंढने पर विराम लगा। #talaash
कहाँ नही मैं तुझको ढूँढा,
ढूँढा तुझको गली-गली।
सावन की बूंदों की मस्ती में,
घुमकर देखा कली-कली।
मन में सोंचा कितनी भली थी,
किस गली में पली बढ़ी।
बूंदों में भीगता चला गया,
प्रेयसी तेरी सीधी गली।
शाम ढली, विश्राम लिया,
चाय पीने को जी किया,
गरम घूंट मैं ले रहा था
मन ही मन मैं सोच रहा था,
पता नही वो कहाँ चली
अनायास! नजर मेरी वहां गयी,
जहाँ, थी वो अपनी छत खड़ी,
नजर उसकी भी मुझ पर पड़ी,
वाह! ये कुदरती मिलन,
हो, प्रसन्न चित्त मैं चल पड़ा
अब ढूंढने पर विराम लगा। #talaash