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ये जरूरी तो नहीं कि हों, एक से ही फलसफे अपने , ना

ये जरूरी तो नहीं कि हों,
एक से ही फलसफे अपने ,
ना ही कोई अहद है ऐसी ,
बसे आँख हों एक से सपने ।
रंग शोखियों के तुम्हारी, 
हम अपनी तन्हाइयों में भरलें ,
चलो बदल लेते हैं दिशा ,
एक नयी राह सफर करलें।।
कौन करता है परवाह अब ,
इन जमाने वालों की ,
बेवजह क्यों छुपाऊँ टीस ,
इन पांव के छालों की ।
एक दूजे की बन हंसी हम ,
घाव दिल के सब ही भरलें ,
चलो बदल लेते हैं दिशा ,
एक नयी राह सफर करलें।।

©Dinesh Paliwal
  #Nayiraah