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एक एक करके झड़ गए हैं साख से पत्ते जैसे खुशियां बि

एक एक करके
झड़ गए हैं साख से पत्ते
जैसे खुशियां बिखर रही हो,
ग़म की टहनियां अकड़ कर खड़ी हैं
फिर से मौसम में बदलाव की आस में,
फिर खिलेंगे फूल गुलिस्तां में
खुशियों की बारात फिर से आएगी ।।

जुनेदपुरिया क़लम से... lockdown condition ✍️
#lockdown #situation 
#alone #writer 
#Feeling #SAD 
#Love #you 
#poem #Shayari
एक एक करके
झड़ गए हैं साख से पत्ते
जैसे खुशियां बिखर रही हो,
ग़म की टहनियां अकड़ कर खड़ी हैं
फिर से मौसम में बदलाव की आस में,
फिर खिलेंगे फूल गुलिस्तां में
खुशियों की बारात फिर से आएगी ।।

जुनेदपुरिया क़लम से... lockdown condition ✍️
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