एक दिन पहुना, दूजे दिन केहुना (केहुनी), तीजे दिन ठेहुना, चौथे दिन केहू (कोई) ना, ये अतिथि की दैनंदिनी, दिनचर्या, अच्छी नहीं, वो झं.... गाड़ने की ही बात क्यूं न हो ? चंद पल में ही जलवा हो जाता है। ©BANDHETIYA OFFICIAL क्या ठिठोली है ! #Photos