जीना ही जान को महफ़ूज़ करना नही तुम नहीं तो किस वजहः से तन को थामे रहे ' इंतज़ार अब नही होता तो रूह को आज़ाद करते हे तुम्हारे करीब होने का दूसरा तर्क नहीं बिन तुम्हारे जीना नरक जो हो ग्या ' #मन तुमसे इक #गल्ल करनी हे तुम मेरी #जित और तुम से में क्यों #हारा