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अब और मत हँसाओ अपने यार को। तरस रही है भैंस और गैय

अब और मत हँसाओ अपने यार को।
तरस रही है भैंस और गैया न्यार को।
(01)
हर रोज  बरसती हैं  बूँदें सुबह से ही!
थोड़ा  समेंट भी लो अपने प्यार को ।
(02)
लौट रहा है  मानसून तो लौट जाए !
बस ऐसे तकलीफ़ न दे किसान को।
(01)
बाजरे में  हो  जाएगा  कंडुआ पैदा !
बहुत नुक़सानदेह  है ये अनाज को।
(01)
सर्दी खाँसी बुख़ार फ़ैलरहा है 'पंछी'
वह  कहाँ से  पैसे  लाए इलाज़ को?
(02) अब और मत हँसाओ अपने यार को।
तरस रही है भैंस और गैया न्यार को।
(01)
हर रोज  बरसती हैं  बूँदें सुबह से ही!
थोड़ा  समेंट भी लो अपने प्यार को ।
(02)
लौट रहा है  मानसून तो लौट जाए !
बस ऐसे तकलीफ़ न दे किसान को।
अब और मत हँसाओ अपने यार को।
तरस रही है भैंस और गैया न्यार को।
(01)
हर रोज  बरसती हैं  बूँदें सुबह से ही!
थोड़ा  समेंट भी लो अपने प्यार को ।
(02)
लौट रहा है  मानसून तो लौट जाए !
बस ऐसे तकलीफ़ न दे किसान को।
(01)
बाजरे में  हो  जाएगा  कंडुआ पैदा !
बहुत नुक़सानदेह  है ये अनाज को।
(01)
सर्दी खाँसी बुख़ार फ़ैलरहा है 'पंछी'
वह  कहाँ से  पैसे  लाए इलाज़ को?
(02) अब और मत हँसाओ अपने यार को।
तरस रही है भैंस और गैया न्यार को।
(01)
हर रोज  बरसती हैं  बूँदें सुबह से ही!
थोड़ा  समेंट भी लो अपने प्यार को ।
(02)
लौट रहा है  मानसून तो लौट जाए !
बस ऐसे तकलीफ़ न दे किसान को।