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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख “बान की मून” ने योग को सबके

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख “बान की मून” ने
योग को सबके लिए जरूरी बताया है।
वह कहते हैं-“योग का ताल्लुक धर्म से नहीं है।
यह निष्पक्ष है।
धर्मो के बीच भेदभाव नहीं करता।
जो योग करेगा, उसे इसका फायदा होगा।
” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि
जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब
देश-काल के साथ बदल जाते हैं।
इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी।
“शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।” :💕🐒👨Good morning ji☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍨🍨☕🍧🍉🍉🍉☘
:
पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:। अर्थात् योग सांसारिक जीवन का मार्ग नहीं है। जहां मन एवं इन्द्रियां स्थिर हो जाएं, बुद्धि निश्चेष्ट हो उस अवस्था को योग कहते हैं। जबकि गीता में कह रहे है कि योग में स्थिर रहकर कर्म करो।

योगस्थ: कुरू कर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय।
सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

हे धनंजय! तू आसक्ति को त्याग कर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित होकर कर्तव्य कर्मो को कर। समत्व ही येाग कहलाता है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख “बान की मून” ने
योग को सबके लिए जरूरी बताया है।
वह कहते हैं-“योग का ताल्लुक धर्म से नहीं है।
यह निष्पक्ष है।
धर्मो के बीच भेदभाव नहीं करता।
जो योग करेगा, उसे इसका फायदा होगा।
” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि
जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब
देश-काल के साथ बदल जाते हैं।
इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी।
“शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।” :💕🐒👨Good morning ji☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍨🍨☕🍧🍉🍉🍉☘
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पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:। अर्थात् योग सांसारिक जीवन का मार्ग नहीं है। जहां मन एवं इन्द्रियां स्थिर हो जाएं, बुद्धि निश्चेष्ट हो उस अवस्था को योग कहते हैं। जबकि गीता में कह रहे है कि योग में स्थिर रहकर कर्म करो।

योगस्थ: कुरू कर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय।
सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

हे धनंजय! तू आसक्ति को त्याग कर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित होकर कर्तव्य कर्मो को कर। समत्व ही येाग कहलाता है।