गुज़र के राहों से तेरी, ये मुकाम आता है आता है कुछ लबों पे तो बस तेरा नाम आता है हवायें तेरी गलियों में महकती है सदा ही मेरी साँसों को तेरी ख़ुशबू का पैग़ाम आता है भरी महफ़िल में भी तेरी याद आती है तेरी दीद का ख़्याल तो सरेआम आता है खुली खिड़की और बंद दरवाज़े से तेरे घर के तेरे क़ैदी होने का हमपे इलज़ाम आता है ©Aaina #ग़ज़ल #शायरी #welove