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जब हवा जर्द पते को दरख्त से जुदा करती है मुझे तुझ

जब हवा जर्द पते को दरख्त से जुदा करती है
मुझे तुझ से बिछड़ना बहुत याद आता है #kavishlapoetry#twolinepoetry
जब हवा जर्द पते को दरख्त से जुदा करती है
मुझे तुझ से बिछड़ना बहुत याद आता है #kavishlapoetry#twolinepoetry